धर्म डेस्क: दिवाली का पांच दिवसीय त्यौहार पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2025) कहा जाता है, जिसे रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस राजा नरकासुर का वध किया था और 16,000 लड़कियों को उसके बंधन से मुक्त कराया था। इसीलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल 2025 में नरक चतुर्दशी 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष पूजा और दीपदान का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए उपाय व्यक्ति के जीवन से दुख, दरिद्रता और नकारात्मकता को खत्म कर देते हैं।
चतुर्मुखी दीपक का महत्व
नरक चतुर्दशी की रात को चौमुखी मिट्टी का दीपक जलाने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दीपक में सरसों का तेल डाला जाता है और चार बत्तियाँ चार दिशाओं की ओर मुख करके लगाई जाती हैं। इसे ‘यम दीपक’ कहा जाता है, जो मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करता है। घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीपक रखकर जलाएं, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की मानी जाती है।
दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है –
“मृत्युना पाषदंडभ्यां कालेन च माया सह, या त्रयोदश्यं दीपदानात् सूर्यजः प्रियतमिति।”
यह दीपक घर के सबसे वरिष्ठ सदस्य को जलाना चाहिए और दीपक जलाने के बाद उसे पीछे मुड़कर न देखें। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
माँ काली की पूजा
नरक चतुर्दशी को काली चौदस भी कहा जाता है। इस रात मां काली की पूजा करने से व्यक्ति को बुरी शक्तियों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। पूजा के समय लाल गुड़हल का फूल चढ़ाएं और ‘ओम क्रीं कालिकायै नम:’ मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
हनुमान जी की पूजा
इस दिन हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और “ॐ हं हनुमते रुद्राथकाय हुं फट्” मंत्र का 11 बार जाप करें. इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में ऊर्जा और सौभाग्य आता है।
14 दीपक जलाने की परंपरा
नरक चतुर्दशी की रात 14 दीपक जलाने की परंपरा है। यम दीपक के अलावा ये दीपक घर के मंदिर, रसोई, तुलसी के पास, मुख्य द्वार, छत और बाथरूम में भी जलाना शुभ माना जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और घर में समृद्धि बढ़ती है।
नरक चतुर्दशी न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिन व्यक्ति के भीतर की नकारात्मकता को दूर कर जीवन को प्रकाश और ऊर्जा से भरने का भी प्रतीक है।
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