धर्म डेस्क: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है जो कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। उनकी साढ़े साती वह अवधि है जब शनि चंद्र राशि से पहले, वर्तमान और बाद की तीन राशियों में गोचर करता है। यह अवधि लगभग साढ़े सात वर्ष तक रहती है और व्यक्ति के जीवन में चुनौतियों का दौर लेकर आती है।
मार्च 2025 में शनि के मीन राशि में प्रवेश के बाद से यह गोचर अक्टूबर तक स्थिर हो गया है। इस समय मेष, मीन और कुंभ राशि वाले लोग साढ़ेसाती के प्रभाव से गुजर रहे हैं।
मेष- अनुशासन का पाठ
मेष राशि पर साढ़े साती का पहला चरण चल रहा है। लोग उत्साही स्वभाव के होते हैं, लेकिन अब निर्णय लेने में असमंजस, अनावश्यक खर्च और शारीरिक थकान जैसी स्थितियां सामने आ रही हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा कहते हैं, ”यह समय मेष राशि वालों को अनुशासन और धैर्य सिखाता है।
यदि कुंडली में शनि शुभ स्थिति में है तो यह अवधि सफलता के द्वार भी खोल सकती है। मेष राशि वालों को शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने और सरसों के तेल का दीपक जलाने की सलाह दी जाती है।
मीन- आत्ममंथन का समय है
मीन राशि के लिए साढ़े साती का मध्य चरण यानी सबसे चुनौतीपूर्ण समय चल रहा है। इस अवधि में मानसिक तनाव, आर्थिक उतार-चढ़ाव और पारिवारिक मतभेद देखने को मिल सकते हैं।
ज्योतिषियों के अनुसार, यह समय आत्मनिरीक्षण और रचनात्मकता को बढ़ाने का अवसर है। हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक 40 फीसदी मीन राशि के लोगों को ध्यान और मेडिटेशन से राहत मिल रही है। उपाय के तौर पर शनि स्तोत्र का पाठ और गरीबों को काले तिल का दान शुभ माना जाता है।
कुंभ- राहत का संकेत
कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है, जो राहत के संकेत दे रहा है। जातकों को अब पिछले संघर्षों का फल मिल रहा है, हालाँकि कुछ पुरानी बीमारियों या कानूनी मामलों का सामना करना संभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय निवेश और दीर्घकालिक योजनाओं के लिए उपयुक्त है।
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कुंभ के लोगों को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है “ॐ शं शनैश्चराय नमःमंत्र का जाप 108 बार करने की सलाह दी जाती है।
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