करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर के निधन के बाद उनकी करीब 30 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। करिश्मा के बच्चे समायरा और कियान अब अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे हैं।
प्रकाशित तिथि: शनिवार, 27 सितंबर 2025 12:08:27 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: शनिवार, 27 सितंबर 2025 12:09:18 अपराह्न (IST)
पर प्रकाश डाला गया
- करिश्मा कपूर के बच्चों की हाईकोर्ट में दलील.
- संजय कपूर की संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया.
- प्रिया कपूर की याचिका और वकील का पक्ष.
मनोरंजन डेस्क. करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर के निधन के बाद उनकी करीब 30 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
करिश्मा के बच्चे समायरा और कियान अब अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे हैं। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को आदेश दिया है कि वे संपत्ति की जानकारी मीडिया से साझा न करें.
संजय कपूर की संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया
इसी साल जून में संजय कपूर का निधन हो गया। अंतिम संस्कार के वक्त भले ही परिवार ने एकजुटता दिखाई हो, लेकिन अब संपत्ति के बंटवारे ने रिश्तों में खटास पैदा कर दी है. मामला कोर्ट तक पहुंच गया है और वसीयत को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने हैं.
प्रिया कपूर की याचिका
पीटीआई के मुताबिक, शुक्रवार को सुनवाई के दौरान संजय कपूर की पत्नी प्रिया कपूर ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपने दिवंगत पति की निजी संपत्तियों और देनदारियों की सूची सीलबंद कवर में जमा करने की इजाजत मांगी.
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने आदेश दिया कि वसीयत की प्रति केवल प्रतिवादी को दी जाएगी और सार्वजनिक रूप से इसका उपयोग नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने साफ कहा कि संपत्ति से जुड़ी कोई भी जानकारी मीडिया में साझा नहीं की जाएगी.
करिश्मा के बच्चों की दलील
करिश्मा के बच्चों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने अदालत में दलील दी, “गोपनीयता की आड़ में संपत्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है। हमें संपत्ति के बारे में जानकारी भी नहीं दी गई। वसीयत के अनुसार, सब कुछ प्रिया कपूर के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया है। दो बैंक खाते खाली कर दिए गए हैं और एक कंपनी में 6% हिस्सेदारी भी प्रतिवादी को दे दी गई है।”
प्रिया कपूर के वकील का पक्ष
वहीं, प्रिया कपूर के वकील राजीव नायर ने कहा कि वह नहीं चाहते कि कोर्ट में साझा की गई जानकारी सार्वजनिक हो. उन्होंने कहा कि जब तक सभी पक्ष इस पर सहमत नहीं हो जाते, तब तक कोर्ट को यह जानकारी सुरक्षित रखनी चाहिए.
अदालत की टिप्पणी
जस्टिस ज्योति सिंह ने कहा कि इस मामले में गोपनीयता बनाए रखने से दोनों पक्षों को फायदा हो सकता है, लेकिन इसके लिए संतुलन जरूरी है.