धनतेरस 2025 शुभ मुहूर्त: ज्योतिषियों के अनुसार इस शुभ संयोग में सोना-चांदी, बर्तन के साथ ही भूमि, भवन, मकान, दुकान और सभी प्रकार की चल-अचल संपत्ति की खरीदारी स्थाई शुभ फल प्रदान करेगी। इस मौके पर सराफा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा अन्य सभी नए-पुराने बाजार खरीदारों से गुलजार रहेंगे।
प्रकाशित तिथि: बुध, 15 अक्टूबर 2025 07:40:22 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: बुध, 15 अक्टूबर 2025 07:40:22 अपराह्न (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। खरीदारी का शुभ मुहूर्त धनतेरस 18 अक्टूबर, पुष्य नक्षत्र के तीन दिन बाद और महालक्ष्मी पूजन से दो दिन पहले होगा। इस अवसर पर शुभ ब्रह्म और बुधादित्य योग के साथ ही फाल्गुन नक्षत्र की त्रिवेणी में बाजार में धनवर्षा होगी। ज्योतिषियों के अनुसार इस शुभ संयोग में सोना-चांदी, बर्तन के साथ ही भूमि, भवन, मकान, दुकान समेत सभी प्रकार की चल-अचल संपत्ति की खरीदारी स्थाई शुभ फल प्रदान करेगी। इस मौके पर सराफा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा अन्य सभी नए-पुराने बाजार खरीदारों से गुलजार रहेंगे।
काली मंदिर खजराना के आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन ब्रह्म और बुधादित्य योग का शुभ संयोग बन रहा है। यह संयोग लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाला माना जाता है। यह संयोग बुध और सूर्य की तुला राशि में युति होने से बन रहा है। त्रयोदशी तिथि शनिवार, 18 अक्टूबर को दोपहर 12.20 बजे रहेगी और रविवार, 19 अक्टूबर को दोपहर 01.52 बजे तक रहेगी। उदयकाल में त्रयोदशी तिथि 19 अक्टूबर को है। लेकिन धनतेरस के त्योहार के लिए प्रदोषवेला और महानिशीथ काल का महत्व बताया गया है, जो शनिवार को मनाया जा रहा है.
धनतेरस 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा
इसलिए धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर दिन शनिवार को सर्वसम्मति से मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य कान्हा जोशी के अनुसार धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने की परंपरा है। इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीप दान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा करने के पीछे मान्यता यह है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यमदेव की पूजा के बाद पूरी रात घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक जलाना चाहिए।
शुभ मुहूर्त में समृद्धि के लिए सप्तधान्य की पूजा करें। ज्योतिषाचार्य शिवम तिवारी ने बताया कि इस दिन नए उपहार, सिक्के, बर्तन और आभूषण खरीदना शुभ होता है। शुभ मुहुर्त में पूजा करने के साथ ही सप्त धान्य की पूजा की जाती है। सात अनाज हैं गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर। सप्त धान्य के साथ-साथ पूजन सामग्री, विशेषकर स्वर्ण पुष्प से देवी भगवती का पूजन करना लाभकारी होता है। इस दिन पूजा में नैवेध के रूप में सफेद मिठाई का प्रयोग किया जाता है।
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त
सुबह 07:51 से 09:17 तक और रात 9:03 से 10:36 तक. चर: दोपहर 12.09 बजे से दोपहर 01.35 बजे तक। लाभ: दोपहर 01.36 से 03.01 बजे तक और शाम 5.53 से 7.27 बजे तक। अमृत: दोपहर 03:02 बजे से शाम 04:27 बजे तक.