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Sunday, October 19, 2025
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धनतेरस 2025: धनतेरस पर जरूर पढ़ें ये कथा, जीवन में बनी रहे सुख-समृद्धि; मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी


धर्म डेस्क. धनतेरस (Dhanteras 2025) रोशनी के त्योहार का पहला और बेहद शुभ दिन है. इस दिन भगवान धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

शास्त्रों में कहा गया है कि धनतेरस के दिन पूजा, दीपदान और सोना-चांदी खरीदने से घर में धन, समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है। इस दिन पूजा के साथ इसकी कथा (Dhanteras katha) पढ़ना विशेष शुभ और मंगलकारी माना जाता है। आइए जानते हैं धनतेरस की यह पौराणिक कथा-

धनतेरस की कहानी (Dhanteras 2025 katha)

एक बार भगवान विष्णु पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे। माता लक्ष्मी ने भी उनके साथ चलने की इच्छा व्यक्त की। भगवान विष्णु ने कहा- तुम मेरे साथ चलो, लेकिन जब तक मैं न लौटूं, तब तक दक्षिण दिशा की ओर मत जाना. लक्ष्मी जी मान गईं.

कुछ देर बाद भगवान विष्णु ने उन्हें एक स्थान पर रुकने को कहा और स्वयं दक्षिण की ओर चले गये। लेकिन जिज्ञासावश लक्ष्मी जी भी उनके पीछे-पीछे चल दीं। रास्ते में उसे सरसों का एक सुन्दर खेत दिखाई दिया, जहाँ से उसने कुछ फूल तोड़े और अपना श्रृंगार किया। आगे उन्हें एक गन्ने का खेत मिला और उन्होंने उसका रस चखा।

इसी बीच भगवान विष्णु वापस आये और यह देखकर क्रोधित हो गये। उसने कहा- ‘मैंने तुमसे कहा था कि तुम दक्षिण की ओर मत जाओ, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी और एक किसान के खेत से चोरी का अपराध भी किया। इसलिए तुम्हें अगले 12 वर्षों तक इस गरीब किसान की उसके घर में सेवा करनी होगी।

यह कहकर भगवान विष्णु क्षीरसागर लौट गये। लक्ष्मी जी एक किसान के घर में साधारण स्त्री बनकर रहने लगीं। एक दिन उन्होंने किसान की पत्नी से कहा- ‘तुम प्रतिदिन स्नान करके मेरी बनाई हुई मूर्ति की पूजा करो और फिर रसोई का काम करो, तुम्हें मनोवांछित फल मिलेगा।’

किसान की पत्नी ने वैसा ही किया. अगले ही दिन देवी लक्ष्मी की कृपा से उसके घर में अन्न और धन की कोई कमी नहीं रही। वह परिवार बारह वर्षों तक सुख, शांति और समृद्धि में रहा।

जब बारह वर्ष पूरे हुए तो भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को लेने आये, लेकिन किसान उन्हें जाने नहीं देना चाहता था। तब भगवान विष्णु ने कहा- ‘लक्ष्मी चंचल स्वभाव की हैं, वह किसी एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहती हैं।’ किसान के अनुरोध पर लक्ष्मी जी ने वचन दिया कि ‘प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को जब तुम्हारी पत्नी मेरा पूजन करेगी, तब मैं उस घर में निवास करूंगी।’

तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि जो व्यक्ति धनतेरस के दिन श्रद्धा और सच्चे मन से देवी लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा करता है, उसके घर में धन, सुख और समृद्धि बनी रहती है।

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