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धनतेरस 2025: धनतेरस पर क्यों की जाती है भगवान धन्वंतरि की पूजा? जानिए पौराणिक कथा


धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने का प्रतीक है, जो समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इस दिन स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए पूजा की जाती है और सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।

प्रकाशित तिथि: बुधवार, 15 अक्टूबर 2025 11:00:45 पूर्वाह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: बुधवार, 15 अक्टूबर 2025 11:00:45 पूर्वाह्न (IST)

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना शुभ माना जाता है। (फाइल फोटो)

पर प्रकाश डाला गया

  1. इस दिन स्वास्थ्य और धन की कामना की जाती है।
  2. सोना, चांदी और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
  3. यह त्यौहार दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

धर्म डेस्क. इस साल धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर 2025 दिन शनिवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। इसे धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वे समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन या धातु खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह लक्ष्मी प्राप्ति का संकेत देता है।

ऋषि दुर्वासा का श्राप

पुराणों के अनुसार एक बार ऋषि दुर्वासा ने इंद्र को श्राप दे दिया था, जिसके कारण देवताओं की शक्ति नष्ट हो गई थी। परिणाम यह हुआ कि राक्षसों ने देवताओं को युद्ध में हरा दिया, जिससे संसार अंधकारमय हो गया।

समुद्र मंथन से अमृत प्राप्ति की कथा |

देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। विष्णु ने उन्हें क्षीर सागर का मंथन करने की सलाह दी ताकि अमृत प्राप्त किया जा सके। देवताओं और दानवों ने मिलकर मंदराचल पर्वत को मथानी और वासुकि नाग को रस्सी बनाकर समुद्र का मंथन करना प्रारंभ किया।

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शिव ने जहर पी लिया

मंथन के दौरान सबसे पहले हलाहल विष निकला, जिससे पूरी सृष्टि पर संकट आ गया। भगवान शिव ने इसे अपने गले में धारण कर संसार को विनाश से बचाया था। उसके बाद समुद्र से अनेक दिव्य वस्तुएं निकलीं। अंततः भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश और आयुर्वेद ग्रंथ लिए हुए प्रकट हुए।

धनतेरस का महत्व

भगवान धन्वंतरि को स्वास्थ्य और उपचार का देवता माना जाता है, इसलिए धनतेरस के दिन उनकी पूजा करने से दीर्घायु, स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है, जो स्वास्थ्य और धन दोनों का शुभ संकेत है।

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