धनतेरस के उपाय: वैदिक कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर, शनिवार को दोपहर 12:18 बजे शुरू होगी और रविवार, 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे तक रहेगी। इसलिए धनतेरस का पवित्र त्योहार 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा।
प्रकाशित तिथि: शुक्र, 17 अक्टूबर 2025 08:23:15 पूर्वाह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: शुक्र, 17 अक्टूबर 2025 08:23:42 पूर्वाह्न (IST)
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- धनतेरस पर नमक से जुड़े उपाय.
- घर में सुख-समृद्धि आएगी।
- आर्थिक परेशानियां दूर होंगी।
धर्म डेस्क. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का शुभ त्योहार मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
मान्यता है कि इस दिन इन देवताओं की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके अलावा इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदने की परंपरा भी विशेष मानी जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनतेरस के दिन पूजा के साथ-साथ कुछ विशेष उपाय करने से पैसों की तंगी दूर होती है और घर में सौभाग्य आता है। खासतौर पर नमक से जुड़े उपाय बेहद शुभ माने जाते हैं। आइए जानते हैं धनतेरस पर नमक से जुड़े इन खास उपायों के बारे में।
धनतेरस कब है? (धनतेरस 2025 कब है)
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर, शनिवार को दोपहर 12:18 बजे शुरू होगी और रविवार, 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे तक रहेगी। इसलिए धनतेरस का पवित्र त्योहार 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा।
धनतेरस के दिन नमक से जुड़े उपाय (Dhanteras Ke Remedies)
वास्तु दोष दूर करने के लिए- धनतेरस के दिन घर में नमक के पानी से पोछा लगाना शुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए- इस दिन नया नमक खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन में वृद्धि होती है।
लेन-देन से बचें- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनतेरस के दिन नमक का व्यापार नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी से नमक उधार लेना या देना अशुभ माना जाता है।
दान करें – धनतेरस के दिन अन्न या धन का दान करने से शुभ फल मिलता है। अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों की मदद अवश्य करें।
मुख्य द्वार पर करें स्प्रे- घर के प्रवेश द्वार पर नमक का पानी छिड़कने से दरिद्रता और दुख दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।