हर साल की तरह इस बार भी दीपोत्सव 2025 का त्योहार हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा. यह पांच दिवसीय त्योहार 18 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर तक चलेगा. धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज, इन पांच दिनों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत खास है. इन दिनों उचित स्थानों पर दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त होती है।
प्रकाशित तिथि: गुरु, 16 अक्टूबर 2025 02:35:52 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: गुरु, 16 अक्टूबर 2025 02:35:52 अपराह्न (IST)
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- दीपोत्सव 2025 शुभ स्थान
- गोवर्धन पूजा दीपक विधि
- भाई दूज यम दीपक महत्व
धर्म डेस्क: पांच दिनों तक मनाया जाने वाला दीपोत्सव भारतीय संस्कृति में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस बार दीपोत्सव (दीपोत्सव 2025) इसकी शुरुआत शनिवार, 18 अक्टूबर को धनतेरस से होगी और बुधवार, 23 अक्टूबर को भाई दूज पर समाप्त होगी। हर दिन का अपना महत्व और पूजा विधि है। आइए जानते हैं इन दिनों में कहां-कहां दीपक जलाने से विशेष लाभ मिलता है।
धनतेरस – 18 अक्टूबर (धनतेरस)
दीपोत्सव का पहला दिन धनतेरस है, जो इस बार 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्यास्त के बाद 13 दीपक जलाने की परंपरा है। इसे कुबेर देव की कृपा प्राप्त होने का प्रतीक माना जाता है और इससे आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। इसके साथ ही शाम के समय दक्षिण दिशा में चार मुख वाला यम दीपक जलाना बहुत शुभ होता है। इससे परिवार को स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
छोटी दिवाली – 19 अक्टूबर (छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी)
छोटी दिवाली, नरक चौदस, रूप चौदस या काली चौदस रविवार, 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन 14 दीपक जलाने की परंपरा है। इन्हें घर के मंदिर, मुख्य द्वार, रसोई और तुलसी के पास जलाना शुभ होता है। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
दिवाली – 20 अक्टूबर (दिवाली)
मुख्य त्योहार दिवाली इस बार 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजा का अत्यधिक महत्व है। घर के मुख्य द्वार पर उत्तर या पूर्व दिशा में दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा तुलसी के पास दीपक जलाना भी शुभ होता है। यह घर में देवी लक्ष्मी की स्थायी उपस्थिति का प्रतीक है।
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गोवर्धन पूजा – 22 अक्टूबर (गोवर्धन पूजा)
गोवर्धन पूजा का त्योहार 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन गिरिराज महाराज की नाभि पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा घर के आंगन में दीपक जलाना भी बहुत शुभ होता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के साथ अन्नकूट के नाम से भी प्रसिद्ध है।
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भाई दूज – 23 अक्टूबर (भाई दूज)
दीपोत्सव का आखिरी दिन भाई दूज है, जो इस बार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन घर के बाहर यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाया जाता है। इस दीपक को घर की दहलीज के बाहर दक्षिण दिशा में रखा जाता है। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु और बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।