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Sunday, October 19, 2025
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तेज बुखार के दौरान भी मोहम्मद रफी ने रिकॉर्ड किया था ये गाना, धर्मेंद्र का ये रोमांटिक गाना आज भी है सुपरहिट


मनोरंजन डेस्क. सुरों के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी ने अपने करियर में हजारों गाने गाए, जिनमें से कई आज भी श्रोताओं के दिलों में मौजूद हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने 102 डिग्री बुखार में भी एक सुपरहिट गाना रिकॉर्ड किया था? यह गाना सुपरस्टार धर्मेंद्र पर फिल्माया गया था और आज भी इसे सुनकर हर किसी के मन में पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं।

बुखार में भी रिकॉर्डिंग बंद नहीं की

साल 1961 में जब धर्मेंद्र की शुरुआती फिल्मों में से एक ‘शोला और शबनम’ की रिकॉर्डिंग चल रही थी तो मोहम्मद रफी इस फिल्म का गाना ‘जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझ में’ गाने वाले थे. उस वक्त उनकी तबीयत बहुत खराब थी और उन्हें तेज बुखार था.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म के संगीतकार खय्याम ने रफी ​​साहब को आराम करने की सलाह दी थी, लेकिन रफी ने साफ कह दिया कि रिकॉर्डिंग रद्द करने से निर्माता को नुकसान होगा। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 102 डिग्री बुखार में भी पूरी शिद्दत से इस गाने को रिकॉर्ड किया.

रफी का जुनून एक मिसाल बन गया

रफ़ी साहब का यह समर्पण उनकी व्यावसायिकता की मिसाल बन गया। उनका मानना ​​था कि उनकी वजह से किसी और को कष्ट नहीं उठाना चाहिए। यही वजह थी कि उन्होंने अपनी सेहत की परवाह किए बिना इस गाने को पूरा किया।

धर्मेंद्र का ये गाना सदाबहार बन गया

धर्मेंद्र पर फिल्माया ये गाना न सिर्फ फिल्म ‘शोला और शबनम’ का बल्कि रफी साहब के करियर का भी आइकॉनिक गाना बन गया। यह गाना आज भी रेडियो, यूट्यूब और म्यूजिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर लोगों का पसंदीदा बना हुआ है।

रफी साहब की ये कहानी बताती है कि जब दिल में समर्पण और जुनून हो तो कोई भी मुश्किल इंसान को उसके काम से नहीं रोक सकती।

शोला और शबनम का गाना (जाने क्या ढूंढती रहती है Lyrics)

न जाने ये आँखें मुझमें क्या तलाश रही हैं।

राख के ढेर में कोई लौ या चिंगारी नहीं है

अब न वो प्यार रहा, न उसकी यादें

लगी आग दिल में, कुछ न रहा, कुछ न बचा।

जिसकी तस्वीर आपकी आँखों में है

मैं वो नेक दिल इंसान नहीं, मैं तो उसकी खामोश चिता हूँ।

हंसते-हंसते जिंदगी न कटती तो अच्छा होता।

खैर, वह हँसते हुए या रोते हुए गुजर जायेगी।

बर्बाद प्यार की राख सुरक्षित है

यदि तुम इसे बार-बार छेड़ोगे तो यह टूटकर बिखर जायेगा।

चाहत गुनाह है, वफ़ा गुनाह है, चाहत गुनाह है

ये एक ऐसी दुनिया है जहां प्यार हो ही नहीं सकता

मैं तुम्हें बाजार के रीति-रिवाज कैसे समझाऊं?

जो बिक गया उसका खरीददार नहीं हो सकता…

एक बार ध्यान से सुनिए इस क्लासिक गाने को

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