छत्तीसगढ़ नक्सल ऑपरेशन: नक्सलियों के सामने आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज किया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति संवाद और विकास की संस्कृति में बदल गई है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने पुलिस को 153 अत्याधुनिक हथियार भी सौंपे.
नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है. आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य और कई वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं. इन कैडरों ने एके-47, एसएलआर, इंसास राइफल और एलएमजी समेत कुल 153 अत्याधुनिक हथियार सरेंडर किए हैं। यह सिर्फ हथियारों का आत्मसमर्पण नहीं है, बल्कि हिंसा और भय के युग का एक प्रतीकात्मक अंत है – एक घोषणा जो बस्तर में शांति और विश्वास के युग की शुरुआत का संकेत देती है।
ये आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में शामिल हैं
मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रानीता, राजू सलाम, धन्नू वेट्टी उर्फ संटू, आरसीएम रतन एलाम और कई वांछित और पुरस्कृत कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान में आस्था व्यक्त की और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।
सरेंडर करने वाले नक्सलियों का स्वागत मांझी चालकी पद्धति से किया गया.
यह ऐतिहासिक कार्यक्रम जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहां आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों का पारंपरिक मांझी-चालकी पद्धति से स्वागत किया गया. उन्हें संविधान की एक प्रति और शांति, प्रेम और नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सह-अस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। अब जो साथी लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई ताकत देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।
आत्मसमर्पित नक्सलियों को दी गई पुनर्वास सहायता की जानकारी
कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को पुनर्वास सहायता, आवास एवं आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य सरकार इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे:डीजीपी
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने कहा, “पुना मार्गमे सिर्फ नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं है, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो लोग आज वापस आए हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं से अपनी ऊर्जा समाज निर्माण में लगाने का आह्वान किया। इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन) विवेकानन्द सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हारिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दिलाई गई शपथ
कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं ने संविधान की शपथ ली और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने संकल्प लिया कि वह अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे। कार्यक्रम का समापन ‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ हुआ। यह क्षण न केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का प्रतीक है, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के एक नए युग की शुरुआत का भी प्रतीक है।