कार्यालय संवाददाता,कानपुर लोकजनता. शहर में धनतेसर पर बाजारों में धनवर्षा हुई. महंगा होने के बावजूद सोना-चांदी भी खूब बिका। हीरे और कुंदन के आभूषणों ने भी खरीदारों को आकर्षित किया। त्योहार पर शहरवासियों ने वाहनों की खरीदारी भी की. शनिवार को 18 हजार दो पहिया और 25 सौ चार पहिया वाहन सड़क पर उतरे. इसके अलावा बर्तन, कपड़े, मूर्तियां, सजावटी सामान और इलेक्ट्रॉनिक सामान की भी जमकर खरीदारी हुई। शहर के बाजारों में देर रात तक खरीदारी होती रही। दावा किया गया कि शहर में त्योहार पर एक दिन में 1200 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ.
धनतेरस पर शहर के बाजार दुल्हन की तरह सजाए गए। जगमगाती रोशनी और फूलों से सजी दुकानों में खरीदारों का स्वागत किया गया। सुबह से ही बाजारों में त्योहारी रंग दिखने शुरू हो गए थे। दोपहर होते-होते बाजारों में खरीददारों की भीड़ उमड़ने लगी। देर रात तक दुकानों में खरीदारी होती रही। अधिकांश लोग सोने और चाँदी की ओर आकर्षित थे। बिरहाना रोड, चौक सराफा, स्वरूप नगर, आर्य नगर, विद्यार्थी मार्केट, लाल बंगला में लोगों ने सिक्के और आभूषण खरीदे। सबसे बड़े बाजार बिरहाना रोड में शाम से ही आभूषण और सिक्कों की खरीदारी शुरू हो गयी. चांदी के सिक्कों के खरीदार अधिक रहे। व्यापारियों ने बताया कि आभूषण बाजार में 30 फीसदी चांदी, 40 फीसदी सोना और 30 फीसदी हीरे की खरीदारी हुई. ज्यादातर चांदी के सिक्के खरीदारों की पहली पसंद बने रहे। वहीं सोने के सिक्के और बिस्किट की भी खरीदारी हुई. इस बार त्योहार पर बाजार में 5 ग्राम का नया चांदी का सिक्का सबसे ज्यादा बिका।
बाजार में हीरे की भी चमक होनी चाहिए
शहर में हीरों के प्रति खरीदारों ने भी रुचि दिखाई। खासकर निजी कंपनियों के सर्टिफाइड हीरों का क्रेज सबसे ज्यादा रहा। व्यापारियों का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक धनतेरस पर शहर में करीब 80 करोड़ रुपये के हीरे की खरीदारी हुई. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सोने की कीमतें बढ़ने के कारण उच्च बजट वाले खरीदार हीरों की ओर आकर्षित हुए। यही वजह है कि इस बार शहर में हीरों की खरीदारी ज्यादा हुई.
पूजा के लिए चांदी
चांदी के उत्पादों में सबसे ज्यादा रुझान पूजा में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों की ओर रहा। लोगों ने छोटी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदीं। इसके अलावा पूजा में रखने के लिए चांदी के पटाखे भी खरीदे गए। चांदी के उत्पादों में छोटे बच्चों के बर्तन भी बिके। इनमें कटोरी और चम्मच की बिक्री सबसे ज्यादा रही।
पीतल के बर्तनों का चलन
धनतेरस पर शहर के बर्तन बाजार में भी रौनक रही। व्यापारियों ने बताया कि इस बार शहर के प्रमुख बाजारों में डिजाइनर बर्तन ज्यादा और पारंपरिक बर्तन कम बिके। खासकर नए डिजिटल क्रिस्टल डिजाइन वाले बर्तन सबसे ज्यादा खरीदे गए। इसके अलावा इस बार खरीदारों के बीच एक नया ट्रेंड देखने को मिला। पीतल के बर्तनों ने 30 प्रतिशत बाजार पर कब्जा कर लिया। पिछले महोत्सव की तुलना में इस बार इसका औसत 22 गुना से भी ज्यादा रहा. बाजार में एक लीटर तांबे के जग और बोतलें भी ग्राहकों की पसंद बनी रहीं। सबसे ज्यादा कारोबार हटिया बर्तन बाजार, भुसाटोली, किदवई नगर, रावतपुर, आर्य नगर, ग्वालटोली और दर्शनपुरवा के बाजारों में हुआ। देर रात तक दुकानों में भीड़ लगी रही।
महंगी कार का कारोबार
धनतेरस पर कार कारोबार में भी तेजी रही। शहर के 19 डीलरों ने करीब 25 सौ चार पहिया वाहन बेचे। इनमें छोटे मॉडल की कारें सबसे ज्यादा बिकीं। इसके अलावा करीब 130 कारें ऐसी थीं जिनकी कीमत 25 लाख रुपये से ज्यादा थी. 25 से 50 लाख रुपये कीमत की 191 कारों का कारोबार हुआ। कार के शौकीनों का रुझान भी इलेक्ट्रिक कारों की ओर दिखा। तीन सौ से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें सड़कों पर दौड़ने के लिए तैयार थीं. दोपहिया वाहनों की भी खूब खरीदारी हुई। खासकर युवाओं का रुझान इलेक्ट्रॉनिक स्कूटर के प्रति रहा। जिन खरीदारों ने त्योहार से पहले वाहन बुक कराए थे, उन्हें त्योहार पर डिलीवरी मिली। इसके चलते शोरूम पर दिन भर ग्राहकों की भीड़ लगी रही। वाहन खरीदार देर रात तक शोरूम में अपने वाहनों का काम पूरा कराते रहे।
गणेश-लक्ष्मी भी घर आये
धनतेरस पर लक्ष्मी के आगमन की मान्यता के चलते खरीदारों ने गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां भी खरीदीं। इनमें पारंपरिक मिट्टी की मूर्तियां सबसे ज्यादा बिकीं। इसके बाद सोने-चांदी की मूर्तियां खरीदने वाले भी खरीदार आए। व्यापारियों ने बताया कि संख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा कारोबार मिट्टी की मूर्तियों का हुआ।
5 ग्राम के सिक्के
शनिवार को धनतेरस के दौरान चौक सराफा और बिरहाना रोड पर खरीदारों को पुराने चांदी के सिक्के नहीं मिले। इस बार बाजार में सबसे ज्यादा मांग नए आए 5 ग्राम के सिक्कों की रही। मान्यता के तहत चांदी के सिक्के खरीदने वालों ने सबसे ज्यादा यही सिक्के खरीदे। नतीजा यह हुआ कि शाम होते-होते ये सिक्के बाजार में आ गये.
सर्राफा का इंतजार है
इस बार चांदी बाजार में सर्राफा खरीदने वालों को निराशा हाथ लगी। एक किलो से अधिक चांदी खरीदने वालों को टोकन के रूप में चांदी दी जाती थी। चांदी सराफा में वेटिंग पीरियड के चलते त्योहार के बाद ही उन्हें पूरी चांदी मिल सकेगी। कई आभूषण व्यापारियों ने अपने खरीदारों से त्योहार के बाद मिलने वाली चांदी को बुकिंग दर पर ही देने का वादा भी किया।
कपड़ों की दुकानें गुलजार हैं
बाजारों में कपड़ों की खरीदारी से माहौल उत्साह से भर गया। खासकर युवा दोपहर में कपड़ों की खरीदारी के लिए निकले। जिसके चलते दोपहर से ही बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। गुमटी, लालगंगला, नवीन मार्केट, गोविंद नगर, किदवई नगर समेत अन्य बाजारों में देर रात तक कपड़ों की खरीदारी होती रही।