विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में शनिवार को धनत्रयोदशी से पांच दिवसीय दीपोत्सव मनाया जाएगा। देश की सुख-समृद्धि के लिए पुजारी चांदी के सिक्के से महाकाल की महापूजा करेंगे। दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी. 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी.
प्रकाशित तिथि: शुक्र, 17 अक्टूबर 2025 08:28:29 पूर्वाह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: शुक्र, 17 अक्टूबर 2025 08:28:28 पूर्वाह्न (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि,उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में शनिवार को धनत्रयोदशी से पांच दिवसीय दीपोत्सव मनाया जाएगा। देश की सुख-समृद्धि के लिए पुजारी चांदी के सिक्के से महाकाल की महापूजा करेंगे। दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी. 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी. दिवाली के अवसर पर मंदिर में आकर्षक विद्युत एवं पुष्प सज्जा की जाएगी।
जानिए पांच दिनों में किस दिन क्या होगा.
धनत्रयोदशी: महाकाल को चांदी के सिक्के चढ़ाए जाएंगे. धनत्रयोदशी पर पुजारी समिति भगवान महाकाल की महाआरती करेगी। देश में सुख-समृद्धि के लिए भगवान को चांदी का सिक्का अर्पित कर पूजा-अर्चना की जाएगी। मान्यता है कि इस प्रकार भगवान महाकाल की पूजा करने से देश में धन, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। महाकाल पूजा के बाद मंदिर समिति द्वारा चिकित्सा इकाई में स्वास्थ्य लाभ के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाएगी।
दिवाली: अवंतिकानाथ को अन्नकूट महाकाल मंदिर ले जाया जाएगा। रूप चतुर्दशी के दिन दिवाली मनाने की परंपरा है। इस बार 20 अक्टूबर को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि का महासंयोग बन रहा है। सुबह 4 बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल को केसर चंदन का लेप लगाएंगे और गर्म पानी से स्नान कराएंगे. इसके बाद नए वस्त्र, सोने-चांदी के आभूषणों से विशेष शृंगार किया जाएगा। अन्नकूट में भगवान को पारंपरिक छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाकर फुलझड़ियों से आरती की जाएगी।
गोवर्धन पूजा: मंदिर की गौशाला में गौ पूजन किया जाएगा। महाकाल मंदिर की पूजा परंपरा में दिवाली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की परंपरा है। इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 22 अक्टूबर को होगी। मंदिर के चिंतामन स्थित गौशाला में गौ पूजन किया जाएगा। मंदिर में गोवर्धन पूजा भी की जाएगी। गायों को विशेष रूप से सजाया जाएगा और उन्हें विशेष व्यंजन खिलाए जाएंगे।
भगवान महाकाल व्रत रखेंगे
इस बार महाकाल मंदिर में दीपोत्सव की शुरुआत शनि प्रदोष के संयोग में धनत्रयोदशी से हो रही है। शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि पड़ने से शनि प्रदोष का संयोग बन रहा है। महाकालेश्वर मंदिर की पूजा परंपरा में शनि प्रदोष का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान महाकाल व्रत रखते हैं और शाम 4 बजे विशेष मंत्रों और पाठों के साथ उनकी अभिषेक पूजा की जाती है। यह संपूर्ण पूजा अनुष्ठान पुजारी जन कल्याण एवं राष्ट्र कल्याण के लिए करते हैं। इस बार 18 अक्टूबर को धनत्रयोदशी पर सुबह पुजारी समिति द्वारा पूजा की जायेगी. शनि प्रदोष की पारंपरिक पूजा शाम 4 बजे होगी.
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