अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड की दो दिवसीय भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण थी। पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका अपनी रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में काफी आगे बढ़े हैं। लेकिन ट्रंप की टैरिफ वॉर नीति के कारण भारत समेत कई देशों के साथ व्यापार टैरिफ को लेकर मतभेद पैदा हो गए थे, ऐसे में गबार्ड की यात्रा ने भारत-अमेरिका संबंधों को फिर से गहरा कर दिया है। वैसे भी, गबार्ड की यात्रा का उद्देश्य आर्थिक सहयोग से आगे बढ़कर रक्षा, सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयासों और खुफिया साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करना था।
गबार्ड की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका वैश्विक सुरक्षा खतरों, आर्थिक अस्थिरता और बदलते अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जटिलताओं का सामना कर रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि अमेरिका अब चरमपंथी संगठनों को अधिक गंभीरता से लेने और उनकी फंडिंग और प्रचार नेटवर्क को नियंत्रित करने की आवश्यकता को समझ रहा है। ट्रंप प्रशासन आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति अधिक आक्रामक रुख अपनाने के पक्ष में है, जो भारत की सुरक्षा चिंताओं से मेल खाता है। यानी भारत और अमेरिका एक साथ आकर इस्लामिक आतंकवाद पर सख्त रुख अपना सकते हैं. साथ ही, रणनीतिक सुरक्षा दोनों देशों के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, आतंकवाद विरोधी और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग को मजबूत करने में अमेरिका की भूमिका की भी प्रशंसा की। गबार्ड ने आतंकवाद, रक्षा सुरक्षा और सूचना साझाकरण जैसे मुद्दों पर ट्रम्प की प्राथमिकताओं का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को उन अवसरों पर नजर रखनी चाहिए जहां वे एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर सकें. दरअसल, दुनिया में चल रहे युद्धों के बीच ऐसे नेताओं की जरूरत है जो शांति के लिए दोस्तों और दुश्मनों से सीधे बात कर सकें।
उन्होंने कहा कि जिस तरह राष्ट्रपति ट्रंप अपनी नीतियों के जरिए अमेरिकी लोगों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को प्राथमिकता देकर अमेरिकी हितों को सर्वोपरि रख रहे हैं, उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी भी भारत के हितों को आगे रखने के लिए काम कर रहे हैं. उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका सुरक्षा गठबंधन और मजबूत होगा, क्योंकि अमेरिका भारत के साथ मजबूत सुरक्षा साझेदारी बना रहा है. अमेरिका की रणनीति में भारत की अहमियत साफ देखी जा सकती है और द्विपक्षीय संबंधों में गुणात्मक बदलाव की शुरुआत हो चुकी है.