आरबीआई निर्यातकों की मदद करता है: वैश्विक मंदी और अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत में निर्यात उद्योग इन दिनों बड़े संकट से गुजर रहे हैं। ऐसे में आरबीआई ने बड़ा फैसला लेते हुए उन सेक्टर्स को राहत देने का ऐलान किया है जो इस वक्त सबसे ज्यादा दबाव में हैं। इन निर्णयों का उद्देश्य निर्यातकों के लिए अपना काम जारी रखना आसान बनाना और उनकी वित्तीय समस्याओं को कम करना है।
निर्यात नियमों में क्या बदलाव हुआ है?
अब निर्यातकों को अपनी निर्यात आय वापस लाने के लिए पहले के 9 महीनों के बजाय 15 महीने का समय दिया जाएगा। साथ ही जिन सौदों में अग्रिम भुगतान प्राप्त हो चुका है, उनमें माल के शिपमेंट के लिए एक साल के बजाय पूरे तीन साल का समय दिया जाएगा। इससे उन कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी जिनके ऑर्डर में देरी हो रही है या सप्लाई चेन में दिक्कत आ रही है.
किन सेक्टर्स को मिलेगा ज्यादा फायदा?
आरबीआई ने ऐसे 20 सेक्टर चुने हैं जो इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. इनमें कपड़ा, जूते, समुद्री उत्पाद, आभूषण, लौह-इस्पात, विद्युत मशीनरी, प्लास्टिक, कालीन और वाहन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन उद्योगों के लिए, टर्म-लोन की किस्तें और ब्याज भुगतान कुछ समय के लिए स्थगित किए जा सकते हैं, जिससे उनके नकदी-प्रवाह पर तत्काल दबाव नहीं पड़ेगा।
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व्यवसाय चलाने के लिए विस्तारित क्रेडिट समय क्या है?
प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट क्रेडिट अवधि को 270 दिन से बढ़ाकर 450 दिन कर दिया गया है। यदि किसी कारण से माल की शिपमेंट समय पर नहीं हो सकी तो बैंक अब घरेलू बिक्री के विरुद्ध भी ऋण समायोजित करने की अनुमति देंगे। यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.
कई गुणवत्ता नियंत्रण आदेश क्यों हटाए गए?
सरकार ने 14 क्यूसीओ को वापस ले लिया है जो रसायन, प्लास्टिक और फाइबर विनिर्माण उद्योगों पर लागू थे। ऐसा करने से कच्चा माल सस्ता हो जाएगा और भारत का कपड़ा उद्योग चीन और वियतनाम जैसे देशों के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। एमएसएमई के लिए कम नियम और अधिक
सोर्सिंग के विकल्प उपलब्ध होंगे, जिससे उनका खर्च कम हो जाएगा.
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