आईईए: दुनिया में ऊर्जा की मांग लगातार बदल रही है और अब भारत इस बदलती तस्वीर में नया खिलाड़ी बनने जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि अगले दस वर्षों में भारत की तेल खपत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में भारत न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि वैश्विक बाजार में तेल की मांग बढ़ाने में भी प्रमुख भूमिका निभाएगा।
क्या भारत बनेगा दुनिया का नया तेल खपत केंद्र?
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले सालों में दुनिया में तेल की खपत और बढ़ने वाली है। खासकर भारत अगले दस साल में तेल की खपत बढ़ाने में सबसे आगे रहने वाला है. यह पहले की भविष्यवाणियों से अलग है, जब 2024 में IEA ने कहा था कि 2030 के आसपास तेल की खपत स्थिर हो सकती है या घट सकती है।
भारत में क्यों बढ़ेगी तेल की मांग?
IEA के मुताबिक, भारत में कारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और खाना पकाने के लिए प्लास्टिक, रसायन, हवाई यात्रा और एलपीजी का उपयोग भी बढ़ रहा है। इसकी वजह से भारत में तेल की खपत 2024 में 5.5 मिलियन बैरल प्रति दिन से बढ़कर 2035 तक 8 मिलियन बैरल प्रति दिन हो जाएगी।
चीन की खपत में बदलाव क्यों?
पिछले 25 वर्षों में, दुनिया की कुल ऊर्जा मांग का आधे से अधिक हिस्सा चीन का रहा है। लेकिन अब चीन की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बदल रही है और वहां वार्षिक उपभोग दर 1.1% तक सीमित होने जा रही है। वहीं, भारत अपनी ऊर्जा मांग को हर साल लगभग 3% की दर से बढ़ाने जा रहा है।
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क्या तेल आयात बढ़ेगा?
भारत में तेल का उत्पादन सीमित है, इसलिए खपत बढ़ाने के लिए आयात पर निर्भरता और बढ़ने वाली है. IEA का अनुमान है कि भारत की आयात निर्भरता 2024 में 87% से बढ़कर 2035 तक 92% हो सकती है। इसका मतलब है कि भारत को अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों से अधिक तेल खरीदना पड़ सकता है।
क्या 2050 तक भी तेल का बोलबाला रहेगा?
IEA का कहना है कि 2050 तक भी तेल मुख्य ऊर्जा स्रोत बना रहेगा. हालांकि, चीन की तेल खपत वृद्धि धीमी हो रही है. भारत दुनिया में तेल की खपत बढ़ाने का नया केंद्र बनने जा रहा है।
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