बजट पूर्व चर्चा: भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र लगातार दबाव और चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में आगामी बजट से पहले हेल्थकेयर इंडस्ट्री बॉडी NATHEALTH ने सरकार से बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य खर्च बढ़ाने की सिफारिश की है. संगठन का मानना है कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य ढांचे पर बड़े पैमाने पर निवेश में बढ़ोतरी जरूरी है.
स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाने की मांग
नेटहेल्थ ने अपनी बजट-पूर्व सिफारिशों में सरकार से सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 2.5% से अधिक तक ले जाने का आग्रह किया है। फिलहाल यह आंकड़ा 1.9% (वित्त वर्ष 2023-24) है, जिसे विशेषज्ञ भारत जैसे बड़े और तेजी से बदलते देश के लिए अपर्याप्त मानते हैं। नैटहेल्थ के अनुसार, स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च बढ़ने से स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा मजबूत होगा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ेगी और पुरानी और गैर-संचारी रोगों से निपटना आसान हो जाएगा। नैटहेल्थ के अनुसार, यह समय की गंभीर आवश्यकता है।
गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ पर गंभीर चिंता
भारत में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) (मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर और उच्च रक्तचाप) तेजी से बढ़ रहे हैं। नैटहेल्थ का कहना है कि देश में होने वाली कुल मौतों में से लगभग 65% मौतें पुरानी बीमारियों के कारण होती हैं। मौजूदा स्वास्थ्य ढांचा गैर-संचारी रोगों के तेजी से बढ़ते बोझ को संभालने में सक्षम नहीं है। गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए सरकार को अधिक संसाधनों और दीर्घकालिक नीति की आवश्यकता है। गैर-संचारी रोग भारत की आर्थिक उत्पादकता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। इसलिए यह न केवल स्वास्थ्य बल्कि राष्ट्रीय विकास का भी बड़ा मुद्दा बन गया है।
हेल्थ चेकअप पर 10,000 रुपये तक टैक्स कटौती
नैटहेल्थ ने निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। संगठन ने अनुरोध किया है कि निवारक स्वास्थ्य जांच पर 10,000 रुपये तक की कर कटौती दी जानी चाहिए। भारत में आमतौर पर लोग बीमारी के बाद इलाज कराते हैं, जबकि रोकथाम पर कम ध्यान दिया जाता है। ऐसे में कर प्रोत्साहन से शीघ्र जांच को प्रोत्साहन मिलेगा। बीमारियों के गंभीर होने से पहले ही उनका निदान करना और स्वास्थ्य प्रणाली पर दीर्घकालिक दबाव को कम करना संभव होगा। इस कदम को देश में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका माना जा रहा है।
हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने का प्रस्ताव
नैटहेल्थ ने सरकार को एक बड़ा वित्तीय मॉडल पेश करने की सिफारिश की है। कहा गया है कि 50,000 करोड़ रुपये का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया जाए. अस्पतालों और निदान केंद्रों को कम लागत वाली दीर्घकालिक पूंजी प्रदान की जानी चाहिए। नई स्वास्थ्य परियोजनाएँ शुरू करने में लगने वाला समय और जोखिम कम किया जाना चाहिए। वर्तमान में अस्पतालों के पास कम लागत वाली पूंजी तक आसान पहुंच नहीं है। इससे स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में मदद नहीं मिलती. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर फंड इस कमी को दूर कर सकता है.
भविष्य के लिए तैयार स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण
नैटहेल्थ की सिफ़ारिशों में यह भी कहा गया है कि भारत को अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को “भविष्य के लिए तैयार” बनाना होगा। इसमें डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, टेलीमेडिसिन और एआई-आधारित चिकित्सा समाधान, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना और सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों (पीपीपी मॉडल) के बीच सहयोग शामिल है। सरकार से स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक संतुलित नीति अपनाने का अनुरोध किया गया है, जिसमें राजकोषीय समर्थन, संरचनात्मक सुधार और नवाचार-आधारित रणनीतियाँ शामिल हैं।
नैटहेल्थ की अध्यक्ष अमीरा शाह क्या कहती हैं?
नैटहेल्थ की अध्यक्ष अमीरा शाह ने कहा, “सरकार को विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य सेवा को राष्ट्र निर्माण के एक रणनीतिक स्तंभ के रूप में पहचानना चाहिए। इसके लिए राजकोषीय दूरदर्शिता और नवाचार-आधारित सुधारों की आवश्यकता है जो सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करें।” उनके मुताबिक स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना न सिर्फ एक सामाजिक जरूरत है बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी जरूरी शर्त है.
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बजट 2025 में बड़े बदलाव की उम्मीद
स्वास्थ्य क्षेत्र की मांगें बताती हैं कि भारत को अब अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि करनी होगी। यदि सरकार नेटहेल्थ की सिफारिशों को अपनाती है, तो स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी, बुनियादी ढांचा मजबूत होगा और गैर-संचारी रोगों से लड़ना आसान होगा। इससे भारत एक दीर्घकालिक, टिकाऊ स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ेगा। आगामी बजट में सरकार क्या फैसला लेती है, इस पर पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र की नजर रहेगी.
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