छठ पूजा: छठ पूजा आते ही बिहार के बाजारों में एक खास सुगंध छा जाती है – केले की। जब केले की बात आती है तो हाजीपुर का नाम सबसे पहले आता है. ‘केला नगरी’ कहा जाने वाला वैशाली जिले का यह शहर हर साल छठ पूजा के दौरान देशभर में चर्चा में रहता है। इस बार तूफान ने भले ही उपज को नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन आस्था और परंपरा की शक्ति ने व्यापारियों के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है. हाजीपुर मंडी में अब तक करीब 13 करोड़ रुपये का केला कारोबार हो चुका है, यह आस्था और अर्थव्यवस्था दोनों का संगम है.
हाजीपुर का चिनिया केला, छठ पूजा की पहचान
छठ पर्व के दौरान श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और अर्घ्य में सबसे महत्वपूर्ण माना जाने वाला फल हाजीपुर का चिनिया केला है। यह न केवल स्वाद में मीठा होता है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक महत्व भी है। पूजा में प्रयोग किये जाने वाले फलों में चिनिया केले का जो स्थान है, वह अन्य किसी फल का नहीं है। यही कारण है कि न सिर्फ बिहार बल्कि देश के कई राज्यों में छठ से पहले हाजीपुर का केला भेजा जाता है.
छठ पूजा में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला केला हाजीपुर का ही होता है. इस बार भले ही उत्पादन कम हुआ हो, लेकिन मांग में कोई कमी नहीं आयी. कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम, बंगाल और तमिलनाडु से करीब 150 ट्रक केले का ऑर्डर दिया गया था.
केले की खुशबू से महक उठा हाजीपुर बाजार
हाजीपुर के बाजारों में इन दिनों एक अलग ही चहल-पहल का माहौल है. हर तरफ पीले केलों की कतारें, लदे वाहन और खरीदारों की भीड़ नजर आ रही है. नगीना कुमार शाह कहते हैं, “छठ पूजा के बिना केला अधूरा है. इस बार तूफान से फसल बर्बाद हो गई, इसलिए मद्रास और बेंगलुरु से बड़ी मात्रा में केले मंगवाने पड़े. लेकिन त्योहार के कारण बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है.”
कारोबारियों के मुताबिक इस बार स्थानीय उत्पादन भले ही पिछले साल की तुलना में कम रहा हो, लेकिन छठ की धार्मिक मांग ने कारोबार की रफ्तार बरकरार रखी है.
छठ व्रत और केला ‘आस्था की अर्थव्यवस्था’
बिहार की ग्रामीण एवं कृषि अर्थव्यवस्था में छठ पर्व का महत्वपूर्ण योगदान है। यह न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि कृषि उत्पादों की मांग को नई ऊंचाई भी देता है। केला, सेब, नारियल, गन्ना, अरहर के पत्ते और दीये की सजावट का बाजार इस समय अपने चरम पर है।
छठ पूजा हर साल बिहार की “आस्था अर्थव्यवस्था” को गति देती है। सिर्फ हाजीपुर बाजार ही नहीं, बल्कि समस्तीपुर, भागलपुर, दरभंगा और पटना की फल मंडियां भी इन दिनों दोगुनी चल रही हैं। इन बाजारों में केले की 40 फीसदी मांग अकेले हाजीपुर से पूरी होती है.
क्यों हाजीपुर ‘ब्रांड बन गया’
हाजीपुर का चिनिया केला लंबे समय से बिहार की पहचान रहा है. इसके स्वाद और मिठास के कारण इसे ‘जीआई टैग’ (भौगोलिक संकेत) दिलाने की प्रक्रिया पर भी चर्चा हो रही है। छठ पूजा के दौरान यह ब्रांड अपने चरम पर होता है.
स्थानीय किसानों का मानना है कि अगर सरकार उचित मूल्य और समर्थन नीति तय कर ले तो हाजीपुर का केला अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बिहार की पहचान बन सकता है. फिलहाल छठ पूजा ने इस उद्योग को अस्थायी राहत जरूर दी है, जो अगले फसल चक्र के लिए उम्मीद की किरण बन गई है.
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