सरकार देश को बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश कर रही है. इससे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, बल्कि भारत दुनिया के कई क्षेत्रों में अग्रणी भी बनेगा। भारत अपने बड़े संसाधनों और कुशल श्रमिकों का उपयोग करके एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र बन सकता है। रविवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के भारत के प्रयास जापानी कंपनियों के लिए निवेश के नए अवसर खोल रहे हैं।
भारत विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए बहुआयामी रणनीति अपना रहा है। सेमीकंडक्टर विनिर्माण और महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों के निष्कर्षण जैसे अग्रणी क्षेत्रों के लिए उद्योग-विशिष्ट प्रोत्साहन और वित्तीय पैकेज प्रदान करना। भारत ने 2014 और 2024 के बीच 667.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है। भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया वाहन निर्माता है।
युवा और तेजी से समृद्ध मध्यम वर्ग द्वारा संचालित भारत का विशाल घरेलू बाजार, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो घटकों से लेकर स्वास्थ्य देखभाल और खाद्य प्रसंस्करण तक के क्षेत्रों में मजबूत आंतरिक मांग सुनिश्चित करता है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात 44.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि की गति जारी है। भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए कई पहल की जा रही हैं।
इनमें ‘मेक इन इंडिया’ पहल, राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और हरित विनिर्माण शामिल हैं। मेक इन इंडिया पहल को एक दशक पूरा हो गया है। मेक इन इंडिया योजना का उद्देश्य भारत को विनिर्माण का बड़ा केंद्र बनाना, आयात पर निर्भरता कम करना और रोजगार के अवसर पैदा करना है। यानि भारत का जोर इनोवेशन और आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाने पर है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारतीय उत्पाद उच्चतम वैश्विक मानकों को पूरा करें, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकियों और उन्नत विनिर्माण में प्रमुख कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं। उद्योग विशेषज्ञों ने मौजूदा दौर को भारत के औद्योगिक उछाल का स्वर्ण युग करार दिया है। वह दिन दूर नहीं जब भारत औद्योगिक उत्पादन का केंद्र होगा और पूरी दुनिया भारत की ओर देखेगी।