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Sunday, November 9, 2025
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जिंदगी का सफर…भारतीय सिनेमा की विरासत- वहीदा रहमान


वहीदा रहमान भारतीय सिनेमा की एक महत्वपूर्ण अभिनेत्री हैं, जो अपनी सुंदरता, गरिमा और अभिनय क्षमता के लिए जानी जाती हैं। वहीदा रहमान का जन्म 3 फरवरी 1938 को तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही एक प्रशिक्षित भरतनाट्यम नृत्यांगना थीं। अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए उन्होंने डॉक्टर बनने का सपना छोड़ दिया और फिल्मों में आ गये। उन्होंने सबसे पहले तेलुगु और तमिल फिल्मों में काम करना शुरू किया।

हिंदी सिनेमा में उनकी प्रतिभा को फिल्म निर्माता गुरुदत्त ने पहचाना, जिन्होंने उन्हें अपनी फिल्म ‘सीआईडी’ (1956) से हिंदी फिल्मों में लॉन्च किया। गुरु दत्त के साथ उनकी साझेदारी ने भारतीय सिनेमा को कई क्लासिक फिल्में दीं, जिनमें ‘प्यासा’ (1957), ‘कागज के फूल’ (1959) और ‘साहिब बीबी और गुलाम’ (1962) शामिल हैं।

मुस्कान दीक्षित (40)

वहीदा रहमान ने 1960 के दशक के मध्य में खुद को एक शीर्ष अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया। उनकी सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक ‘गाइड’ (1965) में ‘रोजी’ की भूमिका थी, जिसने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई और उनका पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद उन्होंने ‘तीसरी कसम’ (1966), ‘नील कमल’ (1968) और ‘खामोशी’ (1969) जैसी कई सफल फिल्में दीं।

मुस्कान दीक्षित (39)

1974 में अभिनेता शशि रेखी (कमलजीत) से शादी करने के बाद, उन्होंने अभिनय से ब्रेक ले लिया और बैंगलोर चली गईं। 2000 में अपने पति की मृत्यु के बाद, वह मुंबई लौट आईं और सहायक भूमिकाओं में लौट आईं। उन्होंने ‘वॉटर’ (2005), ‘रंग दे बसंती’ (2006) और ‘डेल्ही 6’ (2009) जैसी फिल्मों में काम किया।

मुस्कान दीक्षित (40)

भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 1972 में पद्म श्री और 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2023 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। वहीदा रहमान आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमूल्य विरासत बनी हुई हैं।

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