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MP का अनोखा मंदिर… यहां सिर्फ ढाई दिन के लिए आते हैं द्वारकाधीश, पूरी करते हैं भक्तों की मनोकामनाएं, जानिए पूरी कहानी


दिवाली 2025: मुरैना गांव में ढाई दिन के मेहमान बनकर आएंगे भगवान द्वारकाधीश पड़वा बुधवार को भगवान को ढोल-नगाड़ों के साथ मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर लाया जाएगा। इसके बाद यहां भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का आयोजन किया जाएगा। इस लीला मेले में तीन दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.

प्रकाशित तिथि: मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 08:02:16 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 08:02:16 अपराह्न (IST)

द्वारकाधीश सिर्फ ढाई दिन के लिए मुरैना आते हैं।

पर प्रकाश डाला गया

  1. द्वारकाधीश ढाई दिन के लिए अतिथि बनकर मुरैना गांव आएंगे।
  2. ढोल नगाड़ों के साथ मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर लाया जाएगा।
  3. लीला मेले में तीन दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। भगवान द्वारकाधीश ढाई दिन के लिए अतिथि बनकर मुरैना गांव आएंगे। पड़वा बुधवार को भगवान को ढोल-नगाड़ों के साथ मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर लाया जाएगा। इसके बाद यहां भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का आयोजन किया जाएगा। इस लीला मेले में तीन दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.

यह परंपरा पिछले 700 सालों से चली आ रही है. यहां श्रीकृष्ण के परम भक्त गोपेश्वर स्वामी को भगवान ने दर्शन दिए और ढाई दिन के लिए अतिथि बनकर आने का वचन दिया। तभी से यह माना जाता है कि द्वारकाधीश यहीं निवास करते हैं।

श्रीकृष्ण अपना वचन पूरा करने के लिए यहां आते हैं

उल्लेखनीय है कि मुरैना गांव में संत गोपेश्वर स्वामी भगवान के भक्त थे, जब वे भगवान की नगरी द्वारका नहीं जा सके तो उन्होंने भगवान से प्रार्थना की। भगवान ने उन्हें दर्शन देकर दीपावली से ढाई दिन पहले द्वारिकाधीश के रूप में यहां आने का वचन दिया था। तभी से यहां यह परंपरा चली आ रही है। गोपेश्वर स्वामी को सभी दाऊ के नाम से जानते थे तभी से मंदिर का नाम भी दाऊजी मंदिर हो गया।

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नाग देवता के दर्शन के लिए भीड़ उमड़ेगी

ढाई दिवसीय इस आयोजन में पहले दिन भगवान को रथ पर बैठाकर लाया जाएगा, जिसमें बच्चों को कृष्ण और बलदाऊ के रूप में सजाया जाएगा। दूसरे दिन कालिया नाग नाथने की लीला होगी, जिसे देखने के लिए हजारों लोग तालाब पर जुटेंगे। वहीं, यह सांप भी स्वामी परिवार में उसी वर्ष जन्मे बच्चे को ही दिखाई देगा। इसके बाद आखिरी दिन घुड़दौड़ का भी आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम के समापन पर भगवान को विदाई दी जाएगी।

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