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Friday, November 7, 2025
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सत्यनारायण व्रत 2025: सत्यनारायण व्रत कब और कैसे करना चाहिए? जानिए नियम, विधि और फायदे


सत्यनारायण व्रत से सम्बंधित नियम

सत्यनारायण व्रत किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है, लेकिन पूर्णिमा के दिन यह विशेष फल देता है। अगर सुबह पूजा करना संभव न हो तो शाम को भी भगवान सत्यनारायण की पूजा की जा सकती है. भक्त को पूरे दिन उपवास करना चाहिए और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।

सत्यनारायण व्रत की विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प करें।

साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को साफ करें और गंगा जल छिड़कें।

एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

चौकी पर कलश और नारियल रखें.

किसी पंडित को बुलाएं या स्वयं सत्यनारायण कथा का पाठ करें।

पूजा में भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फूल, फल, सुपारी आदि चढ़ाएं।

कथा के बाद आरती करें और उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रती को प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए।

उपवास के फायदे

सत्यनारायण व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

यह व्रत सभी प्रकार के दुखों को दूर कर धन-संपत्ति में वृद्धि करता है।

मान्यता है कि इस व्रत को करने से नि:संतान दंपत्तियों को भी संतान सुख की प्राप्ति होती है।

अस्वीकरण- इस लेख में उल्लिखित उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। यहां इस आर्टिकल फीचर में जो लिखा गया है, नईदुनिया उसका समर्थन नहीं करता। इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/किंवदंतियों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य या दावा न मानें और अपने विवेक का प्रयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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