विष्णु वामन अवतार कथा: भगवान विष्णु का वामन अवतार अत्यंत शुभ और रहस्यमय माना जाता है। यह अवतार दैत्यराज बलि के अहंकार को समाप्त करने, देवताओं को उनका अधिकार दिलाने और धर्म की रक्षा के लिए हुआ था। उनकी लीला केवल युद्ध ही नहीं बल्कि धर्म, विनम्रता और समर्पण का दिव्य संदेश भी थी। आइए जानते हैं इस अवतार की संपूर्ण पौराणिक कथा।
प्रकाशित तिथि: गुरु, 06 नवंबर 2025 01:53:45 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: गुरु, 06 नवंबर 2025 01:53:45 अपराह्न (IST)
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- वामन, भगवान विष्णु के पांचवें अवतार।
- दैत्यराज बलि का अहंकार नष्ट हो गया।
- संपूर्ण ब्रह्माण्ड को तीन पग भूमि में मापा गया था।
डिजिटल डेस्क: वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारों में पांचवां अवतार (Vishnu Vamana Avatar) है। यह अवतार धर्म की पुनः स्थापना और अहंकार के दमन के लिए हुआ था। श्रीमद्भागवत पुराण और वामन पुराण के अनुसार इस अवतार का मुख्य उद्देश्य राक्षस राजा बलि को उसकी सीमाओं का एहसास कराना और देवताओं को उनके खोए हुए अधिकार वापस दिलाना था।
वामन अवतार की कथा
दानव राजा बलि महान भक्त प्रह्लाद का पोता और विरोचन का पुत्र था। वह एक परोपकारी, शक्तिशाली और दानी राजा के रूप में प्रसिद्ध था। अपने तप और बल से उसने देवताओं को परास्त कर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया। देवी माता अदिति अपने पुत्रों की स्थिति से दुखी होकर भगवान विष्णु की कठोर तपस्या करने लगीं। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वह उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे और देवताओं को उनका अधिकार लौटा देंगे।
समय आने पर भगवान विष्णु ने अदिति के गर्भ से वामन रूप में अवतार लिया। जब राजा बलि नर्मदा नदी के तट पर एक भव्य यज्ञ कर रहे थे, तो भगवान वामन एक छोटे ब्राह्मण लड़के के रूप में उनके यज्ञ स्थल पर पहुंचे। वामन का तेजस्वी रूप देखकर राजा बलि ने उनका आदर किया और इच्छानुसार वर माँगने को कहा।
वामन ने मुस्कुराकर केवल तीन पग भूमि मांगी। यह सुनकर दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने बलि को चेतावनी दी कि यह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु हैं, जो देवताओं के लिए तुम्हारी परीक्षा लेने आए हैं। लेकिन उदार बलि ने अपना वादा निभाया और तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लिया।
बलि के त्याग और दान से भगवान प्रसन्न हुए।
वचन पूरा होते ही वामन का रूप विशाल हो गया। पहले पग में उन्होंने संपूर्ण पृथ्वी लोक नाप लिया, दूसरे पग में स्वर्ग सहित संपूर्ण ब्रह्मांड नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची तो बलि ने स्वयं अपना सिर आगे कर दिया, ताकि भगवान अपना वचन पूरा कर सकें।
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बलि के त्याग और दानशीलता से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न हुए और उसे पाताल लोक का स्वामी बना दिया। उन्होंने यह वरदान भी दिया कि वह सदैव उनके साथ रहेंगे। इस प्रकार भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर धर्म की रक्षा की, देवताओं को उनके स्थान पर लौटाया और दैत्यराज बलि को मुक्ति का मार्ग दिखाया।
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