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Monday, October 20, 2025
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लक्ष्मी पूजा 2025 मुहूर्त: गृहस्थों, व्यापारियों, छात्रों और किसानों के लिए आज दिवाली पर पूजा करने का यह सबसे अच्छा समय है।


दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: आज दिवाली पर घरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, मठों और मंदिरों में महालक्ष्मी की पूजा की जाएगी। शुभ हस्त नक्षत्र और रवि-सर्वार्थ सिद्धि योग में महिमा प्रदान करने वाली कमल महिला का आगमन होगा। घर-आंगन को दीपों और रंगोली से सजाया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3.44 बजे से 21 अक्टूबर को शाम 5.44 बजे तक रहेगी।

प्रकाशित तिथि: सोम, 20 अक्टूबर 2025 07:49:54 पूर्वाह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: सोम, 20 अक्टूबर 2025 07:49:54 पूर्वाह्न (IST)

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सनातन संस्कृति के सबसे बड़े त्योहार दिवाली पर आज घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, मठ-मंदिरों में हर जगह सुख-समृद्धि की देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाएगी। कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात शुभ हस्त नक्षत्र के साथ सूर्य और सर्वार्थ सिद्धि के त्रिवेणी संयोग में धन की देवी कमलवासिनी के आगमन की खुशी से जगमगा उठेगी। उनके स्वागत के लिए घर-आंगन को दीयों और रंगोली से सजाया जाएगा.

पर्व काल होने के कारण इस अवसर पर देर रात तक विभिन्न शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से सभी सुखों को देने वाली विष्णुप्रिया की पूजा-अर्चना की जाएगी। ज्योतिषियों के मुताबिक, कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 3.44 बजे से 21 अक्टूबर को शाम 5.44 बजे तक रहेगी. इसलिए इस साल दिवाली का त्योहार 20 तारीख को उदय चतुर्दशी तिथि पर ही मनाया जाएगा.

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन अमावस्या की रात्रि में प्रदोष और निशीथ काल में किया जाता है। इस बार अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशीथ काल 20 अक्टूबर को पड़ रहा है। रूप चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का महत्व उदयातिथि में होने के कारण इसका शुभ समय सोमवार को सुबह 5.13 से 6.25 बजे तक एक घंटा 12 मिनट तक रहेगा।

चौघड़िया के अनुसार लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त

  • लाभ: डोप. 3.30 से 5 बजे तक
  • अमृत: शाम 5 बजे से 6.30 बजे तक
  • लाभ: रात्रि 10.25 बजे से 11.55 बजे तक
  • अमृत: दोपहर 2.55 बजे से सुबह 4.25 बजे तक

स्थिर लग्न के अनुसार

  • वृषभ लग्न: शाम 7.32 बजे से रात 9.28 बजे तक
  • सिंह लग्न: रात्रि 1.25 बजे से 2.55 बजे तक

(ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार)

कौन सा समय किसके लिए सर्वोत्तम है?

  • गृहस्थों के लिए : प्रदोष वेला में लाभ और अमृत के चौघड़िया में पूजन करना सर्वोत्तम है।
  • छात्रों के लिए: वृषभ लग्न में विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ पूजा-पाठ करना भी अच्छा रहता है।
  • व्यापारियों के लिए: व्यवसाय करने वालों और व्यापारिक प्रतिष्ठान चलाने वालों के लिए सिंह लग्न में पूजा करना लाभकारी होता है।
  • किसानों के लिए: खेती-किसानी से जुड़े काम करने वालों को अमृत के चौघड़िया में देवी महालक्ष्मी का आह्वान करना चाहिए।

बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा

शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता डॉ. गिरीशानंद महाराज ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार जिस दिन कार्तिक अमावस्या प्रदोष काल से लेकर आधी रात तक होती है, उसी दिन महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। सनातन संस्कृति में देवी लक्ष्मी की पूजा कर बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा है। इससे अगले दिन रिश्तेदारों को पूजा का प्रसाद देकर शुभकामनाएं दी जाती हैं।

आमतौर पर इस दिन प्रतिपदा तिथि होती है लेकिन इस साल प्रतिपदा तिथि एक दिन बाद 22 अक्टूबर को है। इसके बाद भी 21 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के बाद या अमावस्या के दिन स्नान-दान के दिन बड़े-बुजुर्गों को धोखा दिया जा सकता है। इसके लिए कोई शास्त्रीय प्रावधान नहीं है।

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