महाभारत की पौराणिक कहानी: महाभारत की कहानी जितनी विशाल है उतनी ही रहस्यमयी भी। जब भी आप इसे पढ़ेंगे तो हर बार कोई न कोई नई और आश्चर्यजनक घटना सामने आती है। इस महान युद्ध में कई वीर योद्धा थे जिन्होंने धर्म, कर्म और त्याग के मार्ग पर चलते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। आइए इन महान योद्धाओं की अद्भुत अंतिम इच्छाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्रकाशित तिथि: गुरु, 30 अक्टूबर 2025 11:45:33 पूर्वाह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: गुरु, 30 अक्टूबर 2025 11:45:52 पूर्वाह्न (IST)
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- महाभारत की कहानी भी काफी रहस्यमयी है।
- योद्धाओं ने धर्म के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
- इन योद्धाओं की आखिरी इच्छाएं आपको हैरान कर देंगी.
धर्म डेस्क. महाभारत की कहानी जितनी विशाल है उतनी ही रहस्यमयी भी। जब भी मैं इसे पढ़ता हूं, कोई न कोई नई और आश्चर्यजनक घटना सामने आती है। इस महान युद्ध में कई वीर योद्धा थे जिन्होंने धर्म, कर्म और त्याग के मार्ग पर चलते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि मरते वक्त इन योद्धाओं की आखिरी इच्छाएं क्या थीं? श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उन सभी की अंतिम इच्छा पूरी कर दी थी। आइए इन महान योद्धाओं की अद्भुत अंतिम इच्छाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1. दानवीर कर्ण की अद्भुत अंतिम इच्छा
कर्ण को आज भी उनकी उदारता और विनम्रता के लिए याद किया जाता है। युद्ध के मैदान में घायल होने के बाद श्रीकृष्ण उनके सामने प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा।
कर्ण ने कहा, ‘हे प्रभु, अगले जन्म में आप मेरे राज्य में जन्म लें।’ इसके अलावा उन्होंने इच्छा जताई कि उनका अंतिम संस्कार किसी ऐसे स्थान पर किया जाए जहां कभी कोई पाप न किया गया हो। श्रीकृष्ण ने उनकी दोनों इच्छाएं पूरी कीं और कर्ण को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
2. महाबली घटोत्कच की विलक्षण इच्छा
भीम का पुत्र घटोत्कच अपनी वीरता और शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। युद्ध में अपने प्राण त्यागने से पहले उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा था कि ‘मेरे शरीर को न तो जमीन पर सौंपना, न पानी में डुबाना, न ही आग में जलाना। बस मुझे हवा में गायब कर दो।’ श्रीकृष्ण ने उसकी अनोखी इच्छा पूरी की, जिससे घटोत्कच तत्व में समा गया।
3. बुद्धिमान विदुर की अनोखी प्रार्थना
महाभारत के सबसे ज्ञानी और धर्मनिष्ठ पात्र विदुर ने अपने जीवन के अंत में श्री कृष्ण से कहा था कि ‘मेरी मृत्यु के बाद मेरा शरीर सुदर्शन चक्र में विलीन हो जाए, ताकि मेरा अस्तित्व सदैव आपके साथ बना रहे।’ श्रीकृष्ण ने उनकी यह इच्छा भी पूरी की और विदुर को ईश्वर में लीन होने का वरदान मिला।



