भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इसके पीछे एक पुरानी कहानी प्रचलित है, जो यम और उनकी बहन यमुना जी से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि एक बार यम अपनी बहन यमुना जी के अनुरोध पर उनके घर गये। यमुना जी ने आदरपूर्वक उनके माथे पर तिलक लगाया, उनकी आरती उतारी और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया। इसी प्रेम और सेवा से यमुना जी ने भाई-बहन के रिश्ते को आध्यात्मिक ऊँचाई दी। इस स्नेह से प्रसन्न होकर यम ने वचन दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई को आदरपूर्वक आमंत्रित करेगी, तिलक लगाएगी और भोजन करवाएगी, उसका भाई दीर्घायु, सुखी और समृद्ध होगा। तभी से यह दिन यम द्वितीया के नाम से प्रसिद्ध हो गया और भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा।



