हिंदू धर्म में गंगा जल को बेहद पवित्र माना जाता है और हर शुभ काम में इसका इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि काशी यानि बनारस से गंगाजल लाना शुभ नहीं माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं। कहा जाता है कि यह स्थान मोक्ष की नगरी है और यहां के गंगा जल का संबंध आत्मा की मुक्ति से है।
प्रकाशित तिथि: मंगलवार, 11 नवंबर 2025 05:34:20 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: मंगलवार, 11 नवंबर 2025 05:34:20 अपराह्न (IST)
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- मृत आत्माओं की मुक्ति से जुड़ी एक मान्यता है।
- मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन दाह संस्कार होता है।
- काशी के जल का संबंध नकारात्मक ऊर्जा से माना जाता है।
धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में गंगा जल को बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में गंगा जल का विशेष महत्व है। यह न सिर्फ पवित्रता का प्रतीक है बल्कि इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बनारस (काशी) से गंगाजल लाना अशुभ माना जाता है? इसके पीछे गहरा धार्मिक कारण है, जो मोक्ष और आत्मा से जुड़ा है।
बनारस और गंगा का रिश्ता
बनारस या काशी को भगवान शिव की नगरी माना जाता है और इसे मोक्ष की भूमि कहा गया है। यहां स्थित मणिकर्णिका घाट पर हर दिन असंख्य लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति काशी में अपना शरीर त्यागता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। दाह संस्कार के बाद राख को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है, जिससे मृत आत्मा की मुक्ति पूरी हो जाती है।
बनारस से गंगा जल क्यों नहीं लाना चाहिए
धार्मिक मान्यता है कि यदि बनारस से गंगाजल लाया जाए तो उसमें मृत आत्माओं के अवशेष या राख के अंश हो सकते हैं। इससे उन आत्माओं की मुक्ति प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। इसी कारण से बनारस से गंगाजल घर लाना वर्जित है। कहा जाता है कि इस गंगा जल का संबंध मोक्ष प्राप्त आत्माओं से होता है इसलिए इसे घर में रखना शुभ नहीं माना जाता है।
तांत्रिक क्रियाओं से जुड़ी मान्यताएं भी
काशी में अनेक तांत्रिक एवं मोक्ष अनुष्ठान भी होते हैं। यहां का गंगा जल कई आत्माओं और साधकों के स्पर्श में आता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसे पानी को घर में लाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, जिससे शुभ कार्यों में बाधा आती है।
कुछ लोक मान्यताओं में यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति काशी की मिट्टी या गंगा जल घर लाता है वह उन आत्माओं को मोक्ष से वंचित कर देता है, जिसके कारण उसे पाप का भागीदार माना जाता है।
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