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पुत्रदा एकादशी 2025: संतान की सुख-समृद्धि के लिए पवित्र व्रत, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त


सनातन धर्म में एकादशी व्रत को विशेष महत्व दिया गया है। इन सभी में पौष पुत्रदा एकादशी को सबसे पवित्र माना जाता है। यह त्यौहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का दिन है। इस दिन भक्त संतान प्राप्ति और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखते हैं।

प्रकाशित तिथि: बुध, 12 नवंबर 2025 05:27:23 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: बुध, 12 नवंबर 2025 05:27:57 अपराह्न (IST)

पौष पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु-लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ दिन है।

पर प्रकाश डाला गया

  1. पौष पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर को मनाई जाएगी.
  2. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  3. यह व्रत संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।

धर्म डेस्क: सनातन धर्म के अनुसार पौष माह का बहुत ही पवित्र महत्व है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से एक है पौष पुत्रदा एकादशी। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है और संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि और पारिवारिक वृद्धि के लिए किया जाता है।

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है, पहली सावन के महीने में और दूसरी पौष के महीने में। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से दंपत्ति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

2025 में पौष पुत्रदा एकादशी कब है?

पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 दिसंबर 2025 को सुबह 07:50 बजे शुरू होगी और 31 दिसंबर 2025 को सुबह 05:00 बजे समाप्त होगी. धार्मिक ग्रंथों में तिथि सूर्योदय के अनुसार तय की जाती है, इसलिए आम लोग 30 दिसंबर को व्रत रखेंगे, जबकि वैष्णव परंपरा के लोग 31 दिसंबर को एकादशी रखेंगे.

शुभ योग एवं पूजा विधि

इस एकादशी पर सिद्ध योग, शुभ योग, रवि योग और भद्रवास योग जैसे कई दुर्लभ और शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। भक्त सुबह स्नान करते हैं, पीले कपड़े पहनते हैं, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं और दीप दान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

पौष पुत्रदा एकादशी पारण

व्रत का पारण यानी व्रत खोलने का समय भी विशेष माना जाता है। इस वर्ष पारण 31 दिसंबर को दोपहर 01:29 बजे से 03:33 बजे तक रहेगा. इस दौरान तिल, फल, तुलसी और पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत का समापन किया जाएगा।

ये भी पढ़ें- उत्पन्ना एकादशी 2025: इस दिन भूलकर भी न करें तुलसी से जुड़ी ये गलतियां, चाहते हैं आपके घर में मां लक्ष्मी का वास तो रखें इन बातों का ध्यान

अस्वीकरण: इस लेख में उल्लिखित उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। यहां इस आर्टिकल फीचर में जो लिखा गया है, नईदुनिया उसका समर्थन नहीं करता। इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/किंवदंतियों से एकत्रित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य या दावा न मानें और अपने विवेक का प्रयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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