देव दीपावली 2025 तिथि: देव दीपावली, जिसे देव दिवाली भी कहा जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर मनाई जाती है। इस दिन देवता स्वयं धरती पर अवतरित होते हैं और दिवाली मनाते हैं। सनातन मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इस शुभ अवसर पर गंगा तट पर दीपदान और आरती का आयोजन किया जाएगा.
प्रकाशित तिथि: गुरु, 30 अक्टूबर 2025 04:39:28 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: गुरु, 30 अक्टूबर 2025 04:39:28 अपराह्न (IST)
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- शिववास योग में मनाई जाएगी देव दिवाली.
- कार्तिक पूर्णिमा पर देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।
- गंगा घाटों पर दीपदान एवं भव्य आरती का आयोजन।
धर्म डेस्क: सनातन धर्म में दिवाली और देव दीपावली दोनों ही तिथियों का विशेष महत्व है। जहां दिवाली अमावस्या की रात को मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को समर्पित है, वहीं देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी देवता स्वयं पृथ्वी पर आते हैं और दीपों से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
देव दिवाली 2025 की तारीख और समय (देव दिवाली 2025 शुभ मुहूर्त)
वर्ष 2025 में, देव दिवाली 5 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। वैदिक कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर को रात 10:36 बजे शुरू होगी और 5 नवंबर को शाम 6:48 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में “उदय तिथि” का पालन किया जाता है, इसलिए देव दिवाली 5 नवंबर को ही मनाई जाएगी।
देव दिवाली 2025 पूजा समय (देव दिवाली पूजा समय)
पूजा और आरती का शुभ समय शाम 5:15 बजे से 7:50 बजे तक रहेगा. इस दौरान गंगा घाटों पर दीपदान, आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाएगा. वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार और अन्य तीर्थ स्थलों के घाट हजारों दीपों से जगमगाएंगे।
देव दिवाली का धार्मिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी कारण इसे ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। उस समय देवताओं ने प्रसन्न होकर भगवान शिव की आराधना की और पृथ्वी को दीपों से प्रकाशित किया। तभी से इस तिथि को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
देव दिवाली पर बन रहा है शुभ योग
ज्योतिषियों के मुताबिक इस साल देव दिवाली पर बेहद शुभ योग बन रहा है. 5 नवंबर को शिववास योग का संयोग बनेगा, जो शाम 6.48 बजे शुरू होगा। इसके साथ ही बव करण का भी संयोग बन रहा है। इन योगों में भगवान शिव और शक्ति की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन समृद्ध होता है।
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देव दिवाली के मुख्य कार्यक्रम
वाराणसी में गंगा घाटों पर इस त्योहार का नजारा बेहद भव्य होता है. हजारों दीपक जलाकर गंगा आरती की जाती है। इस दिन भक्त गंगा स्नान, दीप दान और शिव पूजा करके पुण्य कमाते हैं। मान्यता है कि इस दिन किया गया दीपदान और दान सौ गुना फल देता है।
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