रामायण की कहानी: रामायण की कहानी में भगवान श्री राम और रावण दोनों का महत्वपूर्ण स्थान है। हालाँकि रावण एक अत्यंत शक्तिशाली और ज्ञानी राक्षस था, लेकिन उसके अहंकार और पाप के कारण उसका विनाश निश्चित था। यहां तक कि जब रावण ने छल से माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में कैद कर लिया, तब भी वह उन्हें छू तक नहीं सका।
प्रकाशित तिथि: मंगल, 04 नवंबर 2025 02:58:16 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: मंगल, 04 नवंबर 2025 02:58:16 अपराह्न (IST)
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- रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था।
 - रावण सीता की छाया भी नहीं छू सका।
 - उत्तरकांड में श्राप का जिक्र है.
 
धर्म डेस्क. रामायण की कहानी में भगवान श्री राम और रावण दोनों का ही महत्वपूर्ण स्थान है। हालाँकि रावण एक अत्यंत शक्तिशाली और ज्ञानी राक्षस था, लेकिन उसके अहंकार और पाप के कारण उसका विनाश निश्चित था।
यहां तक कि जब रावण ने छल से माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में कैद कर लिया, तब भी वह उन्हें छू तक नहीं सका। इसके पीछे एक रहस्यमय कारण छिपा है, जिसका विस्तार से वर्णन वाल्मिकी रामायण के उत्तरकांड में किया गया है।
रावण ने माता सीता का हरण किया था, लेकिन वह उन्हें छू नहीं सका।
रामायण के अनुसार, जब भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास में थे, तब रावण ने धोखे से माता सीता का अपहरण कर लिया। वह उसे लंका ले आया और अशोक वाटिका में कैद कर दिया।
हालाँकि, इतना सब करने के बाद भी रावण चाहकर भी माता सीता को छू नहीं सका। इसका कारण एक भयानक श्राप था, जो उसे अपने अहंकार के कारण मिला था।
श्राप का उल्लेख उत्तरकांड में मिलता है
रावण को मिले इस श्राप का उल्लेख वाल्मिकी रामायण के उत्तरकांड (अध्याय 26, श्लोक 39) में मिलता है। कहा जाता है कि एक बार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। भगवान शिव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद दिया कि वह अत्यंत शक्तिशाली हो जाएगा। वरदान मिलने के बाद रावण का अहंकार और भी बढ़ गया।
रंभा के साथ दुर्व्यवहार करने पर मिला श्राप
एक बार रंभा, स्वर्गीय अप्सरा, अपने भावी पति नलकुबेर (कुबेर के पुत्र) से मिलने जा रही थी। रास्ते में उसकी मुलाकात रावण से हुई। रंभा की सुंदरता को देखकर रावण उस पर मोहित हो गया और उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की।
रंभा ने रावण को समझाया कि वह उसके भाई कुबेर की पुत्रवधू के समान है, लेकिन रावण ने उसकी बात अनसुनी कर दी। जब इस घटना के बारे में नलकुबेर को पता चला तो उसने रावण को भयानक श्राप दिया कि यदि तुम किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध स्पर्श करोगे तो तुम्हारे सिर के सौ टुकड़े हो जायेंगे। इसी श्राप के कारण रावण माता सीता को छू नहीं सका।
नलकुबेर के इस श्राप के कारण रावण किसी भी स्त्री को उसकी सहमति के बिना छू नहीं सकता था। यही कारण था कि माता सीता को लंका में कैद रखने के बावजूद वह उन्हें छू नहीं सका।


                                    
