पृथ्वी की धुरी के दोलन के कारण 72 वर्षों में आकाश में एक डिग्री का अंतर आता है। पृथ्वी के दोलन की अवधि 26 हजार वर्ष है। पिछले 2500 वर्षों में इसमें लगभग 34.6 डिग्री का परिवर्तन हुआ है और इसका वर्तमान झुकाव 23.44 डिग्री है। दरअसल, इन दिनों माना जा रहा है कि पृथ्वी के घूर्णन और दोलन में बदलाव के कारण हमारी राशियां भी बदल गई हैं। राशियों का विषय ज्योतिषियों का विषय है और इन दिनों दुनिया के कई देशों में राशियों में बदलाव को लेकर जबरदस्त चर्चा चल रही है।
हालाँकि, इस लेख का आधार ज्योतिष नहीं बल्कि खगोल विज्ञान है। पृथ्वी और अन्य खगोलीय पिंडों की गति के आधार पर कई कैलेंडर प्रचलित हैं, जिनमें 27 नक्षत्रों पर आधारित पंचांग भी शामिल है, जो प्राचीन भारत में शुरू हुआ था। इन सब से परे, खगोल विज्ञान वैज्ञानिक ढंग से तारों और नक्षत्रों की गणना और अध्ययन करता है। तारों की स्थिति में परिवर्तन पृथ्वी की धुरी के दोलन और उसके झुकाव के कारण होता है। पृथ्वी की धुरी के दोलन में 72 वर्षों में आकाश में एक डिग्री का अंतर आता है, अर्थात संपूर्ण दोलन की अवधि 26 हजार वर्ष होती है।
पिछले 2500 वर्षों में लगभग 34.6 डिग्री का अंतर आया है। इसका उदाहरण मकर संक्रांति की तिथि में 14 से 15 जनवरी तक बदलाव है. फिलहाल यह झुकाव 23.44 डिग्री है और यह झुकाव धीरे-धीरे बदलेगा। तारों की सापेक्ष स्थिति में परिवर्तन हजारों वर्षों में होता रहता है। वर्तमान में पृथ्वी का झुकाव 23.44 डिग्री है, जिसे हम सभी बचपन से 23.5 डिग्री सुनते आ रहे हैं। पृथ्वी का अक्षीय झुकाव स्थिर नहीं है और लगभग 41 हजार वर्षों के लंबे चक्र में 22.1 और 24.5 डिग्री के बीच दोलन करता है। पृथ्वी के झुकाव में परिवर्तन की दर लगभग 46.8 आर्क सेकंड प्रति शताब्दी है। 25 शताब्दियों की गणना के अनुसार 1170 आर्क सेकंड यानि 0.325 डिग्री का अंतर आ गया है। 2500 वर्षों की अवधि में प्राकृतिक चक्रों के कारण होने वाला परिवर्तन बहुत छोटा, केवल एक अंश मात्र है।
ध्रुव तारा भी स्थिर नहीं है
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एरीज) के खगोलशास्त्री डॉ. वीरेंद्र यादव का कहना है कि ध्रुव तारे के एक ही स्थान पर स्थिर होने की कहानी तो हम सभी जानते हैं, लेकिन पृथ्वी के झुकाव में बदलाव के कारण वर्तमान में पृथ्वी के सापेक्ष उत्तर में दिखाई देने वाला ध्रुव तारा भी स्थिर नहीं है। पृथ्वी के अक्षीय दोलन के कारण, हजारों वर्ष पहले और भविष्य में, पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के ऊपर एक और तारा होगा और एक समय ऐसा आएगा जब कोई ध्रुव तारा नहीं होगा। 14000 वर्ष पूर्व और 11700 वर्ष भविष्य में वेगा नामक चमकीला तारा ध्रुव तारे का स्थान ले लेगा।



